ऐसिड अटैक के बढ़ते मामलों को देखकर देश की सर्वोच्च अदालत ने ऐसिड अटैक करने वालों के खिलाफ सख्त सज़ा का प्रावधान देते हुए कहा था कि ऐसा घिनौना काम करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए। किसी महिला पर तेजाब फेंकने वाले को attempt to murder की कैटेगरी में रखा जाए और उसपर IPC की सख्त धाराओं के तहत केस दर्ज कर कार्यवाही की जाए।
साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में एसिड अटैक के पीड़ितों के लिए राहत भरा आदेश दिया था।
कोर्ट के दिशा निर्देश
* कोई भी अस्पताल तेजाब हमले के पीड़ित के इलाज से मना नहीं कर सकता।
* सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों को तेजाब हमले के शिकार को फौरन कम से कम तीन लाख रुपये की मदद मुहैया करानी होगी।
* पीड़ित को मुफ्त इलाज मुहैया कराना भी सरकार की ही जिम्मेदारी है।
* मुफ्त इलाज का मतलब पीड़ित के अस्पताल के अलग कमरे, खाने और दवाइयों के साथ-साथ सर्जरी का भी खर्च सरकार ही करेगी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि एसिड अटैक के पीड़ित को सर्टिफिकेट भी मिलेगा जिससे भविष्य में उसे सारी सुविधाएं मिल सकें। ये सर्टिफिकेट पीड़ित की प्रथामिक चिकित्सा करने वाला अस्पताल जारी करेगा।
साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने तेजाब की खुली बिक्री पर भी रोक लगा दी थी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तेजाब एक जानलेवा पदार्थ है, जिसका खुले बाजार में बेचा जाना खतरे से खाली नहीं हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने तेजाब की बिक्री को लेकर कुछ सख्त दिशा-निर्देश भी जारी किए थे। जैसे-
1 – सिर्फ लाइसेंस धारक ही बेच सकेंगे तेजाब, बिना पंजीकृण दुकानों पर तेजाब बेचने पर जुर्माना और सज़ा के प्रावधान।
2 – सिर्फ 18 साल या उससे अधिक उम्र वाले ही खरीद सकेंगे तेजाब।
3 – तेजाब खरीदते वक्त खरीदार को दिखानी होगी पहचान। बिना पहचान पत्र दिखाई किसी भी शख्स को नहीं दिया जाएगा तेजाब।
4 – तेजाब बेचने वाले दुकानदारों को अपने स्टाक की जानकारी भी प्रशासन को मुहैया करानी होगी।
5 – नियम तोड़ने वाले दुकानदार पर 50 हजार के जुर्माने का भी प्रावधान
नेशनल क्राइन रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB के आंकड़ों के साल 2016 में देशभर में लड़कियों पर ऐसिड अटैक के 42 मामले सामने आए जिनमें 19 दिल्ली के हैं। जिससे ये साफ होता है कि जब देश की राजधानी दिल्ली में भी महिलाओं के साथ ऐसी वारदातें होती हैं तो देश के दब-कुचले और छोटे इलाकों का क्या हाल होगा। सालभर में ऐसिड अटैक की कई वारदातें तो सामने भी नहीं आ पाती। जिनका ना पुलिस रिकॉर्ड में कोई जिक्र होता है और ना ही इनके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज होती है।