ट्विटर पर एक खबर का लिंक शेयर हो रहा है जिसमें ‘क्या भाजपा अध्यक्ष अमित शाह किसी सहकारी बैंक के निदेशक हैं? क्या उनके बैंक में नोटबंदी के ऐलान के तुरंत बाद 500 करोड़ रुपए जमा कराए गए?’ जैसे दावे किए जा रहे हैं।
कुछ यूजर्स ने इस लिंक के साथ #रिश्वतखोर_PM_मोदी हैशटैग का भी इस्तेमाल किया है। लोगों ने पूछा है कि “अगर यह सच है तो अब तक कोई गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई”, कुछ यूजर्स ने इस मामले की जांच कराए जाने की मांग की है। इंडिया लाइव टुडे नाम के पोर्टल की इस न्यूज रिपोर्ट में कहा गया है कि “नोटबंदी की घोषणा के तीन दिन के भीतर, अहमदाबाद के एक को-ऑपरेटिव बैंक में 500 करोड़ रुपए जमा किए गए। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इस बैंक के निदेशक हैं। आयकर विभाग और प्रवर्तन निदे शालय ने इस सूचना के आधार पर जांच शुरू कर दी है। बैंक अहमदाबाद आश्रमम रोड पर है। 500 करोड़ की इस रकम का ज्यादातर हिस्सा नोटबंदी की घोषणा वाली रात को ही जमा किया गया।”
शेयर हो रही रिपोर्ट के मुताबिक, “इस को-ऑपरेटिव बैंक की 190 शाखाएं हैं। लेकिन इतनी बड़ी रकम आश्रमम रोड स्थित हेडऑफिस में ही जमा की गई है। 8 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद बैंक में भारी रकम जमा हुई। बैंक के ज्यादातर ग्राहक छोटे दुकानदार और किसान हैं। इससे शक और पुख्ता होता है कि 500 करोड़ रुपए जितनी बड़ी रकम इस बैंक में कहां से जमा हुई। आयकर विभाग बैंक से मिली सीसीटीवी फुटेज को वेरिफाई कर रहा है। गुजरात के विभिन्न सहकारी बैंकों में ऐसे गैरकानूनी रकम जमा की गई है।”
खबर में दावा किया गया है, “अब यह साफ हो चला है कि गुजरात में सहकारी बैंकों के जरिए भाजपा अपना काला धन बदल रही है, जो कि सीधे उसके नियंत्रण में हैं। जबकि केरल के सहकारी बैंकों को खत्म करने में भी भाजपा लगी हुई है। अारबीआई के निर्देशानुसार, आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय गुजरात के संदिग्ध सहकारी बैंकों की जांच कर रहे हैं।”
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