याचिका दायर करने वाले आशुतोष बंसल ने दिल्ली पुलिस से इस हत्याकांड की चार्जशीट और गोडसे के बयान समेत अन्य जानकारियां मांगी हैं। दिल्ली पुलिस ने उनके आवेदन को नैशनल आर्काइव्ज ऑफ इंडिया के पास यह कहते हुए भेज दिया कि संबंधित रेकॉर्ड नैशनल आर्काइव्ज को सौंपे जा चुके हैं। नैशनल आर्काइव्ज ऑफ इंडिया ने बंसल से कहा कि वह रेकॉर्ड देखकर खुद ही सूचनाएं प्राप्त कर लें।
सूचना पाने में नाकाम रहने के बाद बंसल केंद्रीय सूचना आयोग पहुंचे। आचार्युलु ने नैशनल आर्काइव्ज के केंद्रीय जन सूचना आयुक्त को निर्देश दिया है कि वह फोटोकॉपी के लिए 3 रुपये प्रति पृष्ठ की दर से पैसे न लें। हालांकि, दिल्ली पुलिस और नैशनल आर्काइव्ज ऑफ इंडिया ने सूचना सार्वजनिक करने में कोई आपत्ति नहीं जताई है। आचार्युलु ने कहा कि मांगी गई सूचना के लिए किसी छूट की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि चूंकि सूचना 20 वर्ष से ज्यादा पुरानी है, ऐसी स्थिति में यदि वह आरटीआई कानून के सेक्शन 8(1)(a) के तहत नहीं आता तो उसे गोपनीय नहीं रखा जा सकता। इस सेक्शन के तहत देश की सुरक्षा या दूसरे देशों से रिश्तों को प्रभावित करने वाली सूचनाएं सार्वजनिक नहीं की जा सकती हैं।