तीन तलाक: मुस्लिम संगठनों ने कहा, मुसलमानों के मौलिक अधिकारों पर अतिक्रमण है मोदी सरकार का रूख

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तीन तलाक
फाइल फोटो।
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नई दिल्ली। देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद ने एक साथ तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार की ओर से अपनाए गए रूख की आलोचना करते हुए कहा है कि ‘किसी भी नागरिक की आस्था अथवा धर्म’ में कोई दखल नहीं होना चाहिए।

जमात के प्रमुख सैयद जलालुद्दीन उमरी ने एक बयान में कहा कि मुसलमान तीन तलाक, बहुविवाह और दूसरे पर्सनल लॉ को अपने धर्म का अभिन्न हिस्सा मानते हैं और ‘वे इन मामलों में शरिया का पालन करने को प्रतिबद्ध हैं।’

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उन्होंने कहा कि ‘‘सरकार को इस पर रोक लगाने की साजिश की बजाय मुसलमानों के इस रूख का सम्मान करना चाहिए।’’ सामाजिक सुधार और लैंगिक न्याय के नाम पर देश में समान आचार संहिता ‘थोपने’ के प्रयास का आरोप लगाते हुए उमरी ने कहा कि इसके विपरीत परिणाम भी हो सकते हैं।

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उन्होंने कहा कि ‘‘देश का संविधान हर किसी को अपने धर्म का पालन करने और उसका प्रचार करने की गारंटी देता है। यह आजादी हर व्यक्ति को मिली है और इसे हमारे संविधान में मौलिक अधिकार के तौर पर समाहित किया गया है।’’

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आगे पढ़ें, क्या है पूरा मामला?

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