हालांकि यह विलय कब से लागू होगा, इसका फैसला बैंकों पर छोड़ दिया गया है। सरकार के फैसले के बाद मुख्य चुनौती यह है कि शाखाओं और कर्मचारियों का समायोजन किस प्रकार किया जाए। सरकार का कहना है कि पांच सहयोगी बैंकों के एसबीआइ में विलय से पहले वर्ष में ही एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की बचत होने का अनुमान है। सरकार ने यह कदम सार्वजनिक बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए लायी गयी इंद्रधनुष कार्ययोजना के तहत उठाया है।
जेटली से जब पूछा गया कि क्या कैबिनेट ने भारतीय महिला बैंक (बीएमबी) के एसबीआइ में विलय के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है तो उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव अभी सरकार के समक्ष विचाराधीन है। तत्कालीन यूपीए सरकार ने 2013 में 1000 करोड़ रुपये की पूंजी के साथ भारतीय महिला बैंक शुरू किया था।
माना जा रहा है कि अपने सहयोगी बैंकों को मिलाने के बाद एसबीआई की परिसंपत्तियां बढ़कर 37 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएंगी। इस तरह विलय के बाद एसबीआइई दुनिया में 45वां सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा।
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