नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने उसके द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक न्यायमूर्ति मुकुल मुदगल के निर्देश पर चुने गए तीन चयनकर्ताओं को विभिन्न पैनल से हटाने के फैसले के लिए दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) को फटकार लगाते हुए कहा कि यह अवमानना का मामला है और डीडीसीए ने एक बार फिर ‘हद पार’ की है।
न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट और न्यायमूर्ति दीपा शर्मा की पीठ ने न्यायमूर्ति मुदगल द्वारा नियुक्त चयन पैनल को बहाल करते हुए डीडीसीए के फैसले को निलंबित कर दिया तथा ‘र्दुव्यवहार’ के लिये इसकी आलोचना की। अदालत ने कहा कि वह ‘सभी की धर्य की परीक्षा ले रहे हैं। यह अदालत की अवमानना है।’’
पीठ ने पंजाब और हरियाणा के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुदगल को ‘निशाना’ बनाने के लिये भी डीडीसीए को लताड़ लगाई। न्यायमूर्ति मुदगल की नियुक्ति दिल्ली हाई कोर्ट ने कथित वित्तीय अनियमितताओं और विभिन्न घरेलू टूर्नामेंटों में खिलाड़ियों के चयन में भाई भतीजावाद के आरोपों से घिरी इस क्रिकेट संस्था के कामकाज पर निगरानी रखने के लिये की थी।
पूर्व भारतीय क्रिकेटरों मनिंदर सिंह, अतुल वासन और निखिल चोपड़ा को चयनकर्ता पद से हटाने के डीडीसीए खेल समिति के पांच नवंबर के फैसले को गलत करार देते हुए पीठ ने कहा कि ‘डीडीसीए को ऐसे कदम से अदालत को अवगत कराना चाहिए था, जबकि आदेश सुरक्षित है।’ उन्होंने कहा कि वह इस मामले को बहुत अधिक तूल नहीं देना चाहते हैं ‘‘लेकिन डीडीसीए की कार्रवाई अदालत की अवमानना है।’’