पैलेट्स से कश्मीरी बच्चों की आंख की रोशनी का जाना जारी है लेकिन अब उनपर खबरें नहीं बनतीं। 14 साल की इंशा मलिक पैलट गनफायर की शिकार हो गई थीं और उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई है। उनके बाद 13 साल की इफरा की कहानी भी उनसे ज्यादा अलग नहीं है। इफरा की आंख की रोशनी भी जा सकती है। पैलेट गन से घायल होने वालों का सिलसिला बदस्तूर जारी है और घाटी में शांति के आसार दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रहे।
पैलेट गन का इस्तेमाल बुरहान वानी की मौत के बाद से कश्मीर घाटी में शुरू हुए विरोध-प्रदर्शन पर काबू पाने के लिए पुलिस बलों ने शुरु किया था। 14 साल इंशा मलिक नौवीं क्लास की छात्रा थीं जिनकी पैलेट गनफायर में ज़ख़्मी होने के नाते दोनों आंखों की रोशनी चली गई है। अब इस पैलेट गन का नया शिकार 13 साल की इफरा हैं। इंशा की तरह इफरा भी दक्षिण कश्मीर से हैं लेकिन पुलवामा से। यह शोपियां कस्बे से सटा हुआ है। इंशा की तरह इफरा भी घर पर ही थीं, जब वह पैलेट गन का शिकार हुईं। इफरा अपने घर के लॉन में थी कि तभी पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के दौरान पैलेट गन से चलाई गई गोली उनके चेहरे पर आकर लगी।