भारत सरकार के आंकड़ों की मानें तो महिलाओं के प्रति अपराध में 18 फीसद की दर से बढ़ोतरी हो रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक, चार साल पहले की तुलना में 10 हजार से ज्यादा केवल बलात्कार की घटनाओं में इजाफा हुआ है। सबसे चौंकाने वाली तथ्य यह है कि सजा की दर मात्र 29 फीसद पर अटकी हुई है। यानि, एक साल में सौ में से मात्रि 29 आरोपियों को ही सजा हो पा रही है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में देशभर में रेप के 34 हजार 500 से अधिक मामले सामने आए। इनमें से 33 हजार 098 मामलों में अपराधी, पीड़ितों के परिचित थे। रेप के मामले में दिल्ली दूसरे स्थान पर है। दिल्ली में रेप के 2 हजार 199 मामले दर्ज किए गए।
निर्भया कांड के बाद दावे किए गए थे कि दो साल के अंदर दिल्ली के हर थाने में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या कम से कम 10 हो जाएगी, लेकिन अब भी ज्यादातर थानों में इनकी संख्या महज 6-8 है। दिल्ली पुलिस में महिलाओं की संख्या महज सात फीसद ही है। इनमें 60 फीसद महिला कर्मचारी ऐसी हैं, जिनका शहर की कानून व्यवस्था से सीधे कोई वास्ता नहीं है।
इस घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने 922 ऐसे स्थान चिन्हित किए थे, जहां रात में रोशनी की व्यवस्था नहीं है। यही नहीं, 200 ऐसे बस स्टैंड भी चिन्हित किए थे, जहां पर रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इन स्थानों पर रोशनी की व्यवस्था के लिए दिल्ली पुलिस ने संबंधित एजेंसियों को पत्र भी लिखा, लेकिन अब तक कुछ नहीं हो पाया है।
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