मार्च 2015 में योगी आदित्यनाथ ने संविधान में देश के नाम को ‘इंडिया’ से बदलकर हिंदुस्तान करने की मांग की थी। विधेयक के मुताबिक संविधान के आर्टिकल 1 में ‘इंडिया’ लिखा है जो कि ‘भारत’ है, इसे ‘हिंदुस्तान’ से बदल देना चाहिए। आदित्यनाथ ने दावा किया था कि यह (इंडिया) गुलामी के प्रतीक को दर्शाता है और इस प्रकार हमारे संविधान से इसे हटाया जा सकता है। गोरखपुर से लगातार 5 बार से सांसद बन रहे योगी आदित्यनाथ ने संविधान की आठवीं अनुसूची में भोजपुरी का समावेश, गोरखपुर में एम्स बनाने की मांग, आमी नदी नें प्रदूषण, इन्सेफ्लाइटिस जैसे कई मुद्दे उठा चुके हैं। वह कई बार पूर्वांचल को अलग राज्य बनाने की मांग दोहराते रहे हैं।
सांप्रदायिक हिंसा रोकने के प्रभावी तंत्र पर चर्चा के दौरान योगी आदित्यनाथ ने साल 2014 में कब्रिस्तान पर खर्च का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि यूपी में कब्रिस्तान की दीवारें बनाने के लिए 300 करोड़ रुपए की राशि निश्चित की गई है। इस भाषण में उन्होंने सच्चर कमेटी को सांप्रदायिक आधार पर समाज को विभाजित करने का प्रयास बताया था। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 से 11 सत्रों में योगी की उपस्थिती 77 प्रतिशत रही है। दो सत्रों में 100 प्रतिशत उपस्थिति रही हैं। पीएम मोदी के सत्ता संभालने के बाद से योगी हर बड़ी चर्चा का हिस्सा बनते आए हैं।