हर साल मॉनसून के वक्त यह नहर क्षतिग्रस्त हो जाती थी और ठंड के मौसम में इसे दोबारा बनाया जाता था। लेकिन बढ़ती लागत को देखते हुए 1990 के बाद से नहर का निर्माण बंद करवा दिया गया। यहां पर एक पक्की नहर के निर्माण के लिए हमने राज्य सरकार को 2014 में ही प्रस्ताव भेज दिया था। लेकिन यह मामला अब तक लंबित है।
अवस्थी आगे कहते हैं, ‘गांववालों ने हमें सूचना दी थी कि टेहरा गांव के लोगों के साथ मिलकर उन्होंने खुद ही नहर का निर्माण शुरू कर दिया है। मैं जल्द ही नहर का निरीक्षण करने जाउंगा। जिला प्रशासन जल्द ही इस मामले को दोबारा उठाएगा।’ टेहरा गांव के किसान रामपाल सिंह की मानें तो, ‘पानी की कमी के कारण हमारे इलाके की फसलों की गुणवत्ता दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही थी। हमने जिला प्रशासन और नेताओं के सामने इस संदर्भ में कई बार गुहार लगाई लेकिन हमारी आवाज अनसुनी कर दी गई।