फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए छोड़ी नौकरी

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विराट शाह

अहमदाबाद के वात्वा इलाके में फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों की ज़िंदगी संवारने के लिए विराट शाह नाम के एक शख्स ने एक अहम कदम उठाया है। विराट शाह ने फुटपाथ पर रहने वाले इन बच्चों की ज़िंदगी को बेहतर बनाने के लिए अपनी दुबई की नौकरी तक छोड़ दी। विराट ने  एल. डी. इंजिनियरिंग कॉलेज से इंस्ट्रूमेंटेशन और कंट्रोल इंजिनियरिंग में बी. टेक. किया है। उन्होने अपने करियर में इतना अच्छा मुकाम हासिल करने के बावजूद अपनी जॉब छोड़कर झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले इन बच्चों को पढ़ते हैं। इस वक़्त विराट यहाँ 200 बच्चों को पढ़ते हैं।

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विराट अपने इस सफर के बारे में बताते हैं, ‘जब मैं छोटा था, तभी इसकी शुरुआत हो गई थी। मेरे पिता एक मिल मजदूर थे। उन्होंने कभी किसी को अपने दरवाजे से खाली हाथ नहीं लौटाया था। और इसी वजह से उन्हें एक रोज अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। स्कूलिंग पूरी करने के बाद मैंने एल. डी. इंजिनियरिंग कॉलेज में दाखिला ले लिया। पढ़ाई के दौरान मैं ट्यूशन दिया करता था। किसी से ट्यूशन के लिए पैसा लेना मुझे हमेशा तकलीफ देता था लेकिन मैं मजबूर था। पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने कई कंपनियों में काम किया और तृप्ति से शादी की। वह एक केमिकल इंजिनियर हैं।’

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विराट 2 बच्चों के पिता हैं। और खास बात अगर किसी बच्चे के पास आवासीय पता नहीं होता है तो वो खुद उस बच्चे के गार्जियन बन जाते हैं।

विराट की जिंदगी ने तब एक नई करवट ली जब उन्हें विदेश में काम करने का प्रस्ताव मिला। दो बेटियों के पिता विराट आगे बताते हैं, ‘ मैं पांच साल तक भारत के बाहर रहा। अच्छा खासा पैसा कमाने के बाद मैं वापस लौट आया। दुबई में मेरी सैलरी 3.5 लाख रुपये महीना थी। 2010 में भारत लौटने पर मैंने तय किया कि अब नौकरी नहीं करूंगा। इसकी जगह पर मैं झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने का फैसला किया। पत्नी और बच्चों की अच्छी जिंदगी के लिए मैंने ठीक-ठाक कमा लिया था। सितंबर, 2014 में मैंने यह सफर 10 बच्चों के साथ शुरू किया था। 2015 में जब मैं इन बच्चों को नजदीक के नगर निगम स्कूल में दाखिले के लिए ले गया तो प्रिंसिपल ने ऐडमिशन देने से मना कर दिया। उसके बाद मैं उन बच्चों को गार्जियन बन गया।’

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