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याचिका में कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत किसी जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने का अधिकार केन्द्र सरकार को है। राज्य सरकार को ऐसा अधिकार ही नहीं है। इसलिए राज्य सरकार के शासनादेश 22 दिसम्बर 2016 व 31 दिसम्बर 2016 की अधिसूचना को रद्द किया जाए तथा 17 जातियों को पिछड़े वर्ग में वापस किया जाए।
जानकारी के लिए बता दें कि प्रदेश में सभी विपक्षी दलों ने राज्य सरकार के इस कदम का विरोध किया था। साथ ही कहा था कि चुनावों से पहले राजनीतिक लाभ लेने के लिए राज्य सरकार ने यह कदम चला है। कई लोगों का आरोप था कि राज्य सरकार सीधे मौजूदा अनुसूचित जातियों के हितों के खिलाफ यह काम कर रही थी।
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