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यादव ने कहा कि मैं इटावा नहीं आता था क्योंकि मुझे भरोसा था कि इसका ख्याल रखा जाता है। उन्होंने मुझे पार्टी से निकलवा दिया। मुझपर आरोप लगाए कि मैं चांदी की चम्मच लेकर पैदा हुआ, क्या ये मेरे हाथ में था। नेताजी ने मुझे आगे किया तो मेरी जिम्मेदारी थी कि मैं पार्टी को आगे ले जाऊं।
गौरतलब है कि सपा में हुए पारिवारिक विवाद के बाद अखिलेश पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए कांग्रेस से हाथ मिला लिया। शिवपाल यादव को इटावा के जसवंतनगर सीट से टिकट भी दिया गया। भले ही शिवपाल ने कांग्रेस से गठबंधन पर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन एक साक्षात्कार में उन्होंने यूपी में फिर से सपा की सरकार बनने की इच्छा जताई थी।
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