इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या जैसे गंभीर अपराधों में सजा काट रहे गंभीर रूप से बीमार कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर दखल देने से इंकार करते हुए उसे खारिज कर दिया है।कोर्ट ने कहा है कि हत्या करने वाले सजायाफ्ता अपराधियों की रिहाई जनहित में कैसे हो सकती है। यदि कोई बीमार है तो वह सरकार से इलाज की मांग कर सकता है। यदि बीमार कैदियों को रिहा किया जाए तो बेहतर है कि जेलों को खत्म ही कर दिया जाए।
कोर्ट ने याचिका में प्रदेश की जेलों में बीमार कैदियों की रिहाई की मांग पर हैरानी जताई और कहा कि अपराधियों की रिहायी जनहित में कतई नहीं हो सकती। यह आदेश चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने शिवमणि की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जो व्यक्ति पैंसठ साल की उम्र में हत्या करता है उसे सजा काटनी ही चाहिए। कैदियों की रिहाई के लिए याचिका में सामान्य गुहार नहीं लगाई जा सकती है। हत्या जैसे अपराधी को जेल में ही रहना चाहिए।
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