कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद को लेकर कुछ दिन पहले हिंसा जारी थी, अब पंजाब और हरियाणा के बीच सतलज-यमुना लिंक नहर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंजाब में हिंसक प्रदर्शन की आशंका पैदा हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुरुवार को दिए अपने आदेश में नहर का निर्माण कार्य जारी रखने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद पंजाब कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अमृतसर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया है। फैसले के विरोध में कांग्रेस के सभी मौजूदा विधायकों ने भी इस्तीफा देने की घोषणा की है।
राजनीतिक दबाव की इस रणनीति में अकाली दल के भी सभी सदस्यों के इस्तीफा देने की अटकलें हैं। चुनाव के मुहाने पर खड़े पंजाब में सुनने को मिल रहा है कि अकाली नेता और मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी अपनी सरकार का इस्तीफा दे सकते हैं।
पंजाब लंबे समय से इस नहर का विरोध करता आया है। इसका मकसद पड़ोसी राज्य हरियाणा को रावी व्यास नदियों के पानी का एक निर्धारित हिस्सा मुहैया कराना था। जल बंटवारे का यह समझौता केन्द्र सरकार ने अपने कई फैसलों में पंजाब के ऊपर लागू करने का दबाव बनाया। 1955, 1976 और 1981 में इस तरह के आदेश केंद्र सरकार ने पंजाब को दिए। हालांकि केंद्र की तरफ से इस पर कोई रोशनी नहीं डाली गई कि पानी की कुल उपलब्धता के आकलन में रावी, व्यास और सतलज नदियों को तो जोड़ा गया। लेकिन 1966 तक पंजाब में हरियाणा के गठन के पहले तक बहती रही यमुना नदी के करीब 55।8 लाख एकड़ फुट या एमएएफ पानी को नहीं जोड़ा गया और क्यों हर बार उसे हरियाणा के इस्तेमाल के लिए सुरक्षित रखा गया? पंजाब की बेचैनी की वजह दक्षिणी पंजाब के मनसा जिले में करीब नौ लाख एकड़ की सिंचाई इसी पानी से होती है, जो सतलज यमुना लिंक नहर बन जाने पर हरियाणा में चला जाएगा।