जब सभी राजनीतिक दल बैलेट पेपर से चुनाव चाहती है, तो चुनाव आयोग का EVM पर जोर क्यों?- केजरीवाल

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बता दें कि बुधवार को राज्यसभा में बसपा प्रमुख मायावती ने चर्चा की मांग करते हुए ईवीएम से छेड़छाड़ का मुद्दा उठाया, जिसके बाद उनका कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने समर्थन किया। यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने बीजेपी पर बेईमान होने का आरोप भी लगाया। उन्होंने मध्य प्रदेश में ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतों का मुद्दा भी उठाया।

हीं, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हिमाचल प्रदेश और चुनावों में ईवीएम की जगह मतपत्र का इस्तेमाल होना चाहिए। जबकि, सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा कि ईवीएम की चिप की प्रोग्रामिंग बदली जा सकती है। इस पर डिप्टी स्पीकर ने कहा कि चुनाव आयोग इस मामले पर सफाई दे चुका है।

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ईवीएम के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों ने नेताओं ने स्पीकर के आसन के पास आ गए और नारेबाजी करने लगे। उन्होंने ‘ईवीएम की सरकार नहीं चलेगी, नहीं चलेगी’ के नारे लगाने शुरू कर दिए। विपक्ष के आरोपो का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि पंजाब में भी ईवीएम से ही चुनाव हुए हैं। विपक्ष को जनता का सम्मान करना चाहिए।

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गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत पर सबसे पहले मायावती ने सवाल उठाते हुए ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया था और बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की थी। जिसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी एमसीडी चुनाव को देखते हुए इस मुद्दे को उठाया। हालांकि, चुनाव आयोग ने दोनों के आरोपो को खारिज करते हुए कहा कि ईवीएम में कोई गड़बड़ी नहीं है।

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