दिल्ली सरकार की ओर से चुने गए ईडब्लूएस पर BJP नेता विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि डीजी कैटेगरी के 2000 से भी ज्यादा बच्चों को प्राइवेट स्कूलों की ओर से नर्सरी और एंट्री क्लॉसेज में दाखिले के लिए इनकार कर दिया गया है। उन्होंने इसके लिए साफ तौर पर दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। अगर सरकार प्राईवेट स्कूलों के प्रबन्धन के साथ मिली हुई नहीं है तो उसे रिव्यू पैटिशन डालनी चाहिए ताकि इन बच्चों के साथ न्याय हो सके।
कोर्ट के दखल के बाद दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने करीब 8000 बच्चों को अपर ऐज लिमिट में एक साल की छूट दे दी। इसके बाद भी एक साल से ज्यादा गैप वाले बच्चों को सरकार प्राईवेट स्कूलों में दाखिला नहीं दिलवा पा रही है। इसके कारण इन बच्चों के अभिभावकों में घोर निराशा है क्योंकि इनके बच्चों का दाखिला अभी तक अधर में लटका हुआ है। वहीं स्कूल प्रबन्धन को अपनी मनमानी से इतनी ही सीटें भरने के लिए छूट मिल गई है। इसके चलते वे भारी कमाई करने जा रहे हैं।
प्राइवेट स्कूलों की ओर से दिल्ली सरकार लारा लॉटरी से चयनित इन बच्चों को दाखिला देने के आदेश ना मानना यह सिद्ध करता है कि दिल्ली के शिक्षा विभाग की नीति प्राइवेट स्कूलों की ओर से तय की जाती हैं न कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री की ओर से जिनके पास शिक्षा विभाग भी है। इसलिए उप मुख्यमंत्री को 2000 बच्चों को प्राइवेट स्कूलों लारा दाखिला न देने के लिए जनता और विशेषकर बच्चों के अभिभावकों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।