उल्लेखनीय है कि राज्य की 19 फीसद मुस्लिम आबादी को आकर्षित करने के लिहाज से बीएसपी ने इस बार अभी तक सर्वाधिक 97 मुस्लिम प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारने की घोषणा की है. क्षेत्र के लिहाज से देखा जाए तो सबसे ज्यादा बसपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश से मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 149 सीटें हैं और बसपा ने यहां से 50 मुस्लिम प्रत्याशियों को उतारा है। यानी पार्टी के कुल मुस्लिम प्रत्याशियों में से तकरीबन आधे ऐसे प्रत्याशी यहां से चुनावी मैदान में हैं। इससे पहले पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा ने 85 प्रत्याशी उतारे थे और उनमें से 15 चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे।
बसपा इस बार दलित-मुस्लिम (डीएम) कार्ड खेलने की इच्छुक दिखाई देती है। मुस्लिमों के बाद उसने सबसे ज्यादा परंपरागट वोटों के लिहाज से दलित प्रत्याशी ही उतारे हैं। उसके बाद संख्या के लिहाज से ब्राम्हण प्रत्याशियों का तीसरा स्थान है। इससे पहले 2007 और 2012 के चुनावों में बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले के तहत ब्राम्हण-दलित कार्ड खेला था। माना जाता है कि 2007 के चुनावों में इसी सोशल इंजीनियरिंग की बदौलत बसपा सत्ता में आई थी।