पुराने समय से ही चंबल की घाटी को डाकुओं का बसेरा माना जाता है, लेकिन अब चंबल के डाकुओं ने दिल्ली में कारोबार करना शुरू कर दिया है। पुलिस का कहना है कि चंबल के डकैतो ने अब दिल्ली और एनसीआर इलाकों के लोगों का अपहरण करना शुरू कर दिया है। काम्पिल में सक्रिय इसी तरह के एक गैंग ने पिछले महीने जैतपुर से फरीदाबाद के एक डॉक्टर और उसके कंपाउडर को किडनैप कर लिया था। बाद में दिल्ली पुलिस उन्हें छुड़ाने में कामयाब रही। इस मामले के दो मुख्य आरोपियों ऋषि खलीफा और प्रमोद कुमार को पिछले सप्ताह हाथरस और भीरपुर से गिरफ्तार किया था। ये आरोपी एक गैंग के सदस्य हैं जो राजधानी में कई सालों से सक्रिय है।
मामले के आरोपी खलीफा ने एक नया गैंग बनाने के लिए चंबल गैंग के लिए काम करने वाले कुमार से संपर्क किया था। इस ऑपरेशन को अंजाम देने वाले डीसीपी (साउथईस्ट) रोमिल बानिया ने बताया, गैंग के सदस्य कानपुर और ग्वालियर के बीच गंगा नदी के मुहाने के इलाकों से बाहर भी सक्रिय हैं। गैंग के सदस्य मुख्य तौर पर नाविक या मल्लाह होते हैं जिन्हें नदी मार्गों का अच्छे से ज्ञान है। जरूरत पड़ने पर ये अपने अनुभव का उपयोग लूट-पाट कर भागने और छिपने में करते हैं। चंबल डकैतों की तरह ये भी गांव वालों की मदद से अपनी जरूरतें पूरी करते हैं।
पुलिस के मुताबिक, ये गैंग कुमार जैसे वाहकों के जरिए अपना नेटवर्क फैलाते हैं और स्थानीय कुख्यात अपराधियों से जुड़कर अपहरण और लूटपाट के लिए किसी खास जगह के बारे में जानकारी लेते हैं। अपहरण किए जाने से पहले व्यक्ति को एक महीने पहले से ट्रेस किया जाता है। हथियार, वाहन और अन्य साधन स्थानीय तौर पर ही जुटाए जाते हैं। अपहरण के बाद आसानी से कैद तक पहुंचाने के लिए पीड़ित को बेहोश कर दिया जाता है।
अगली स्लाईड में पढ़े डकैत कैसे करते हैं पुलिस को गुमराह।