एक पुलिस अधिकारी ने बताया, किडनैप किए व्यक्ति को किसी बिचौलिए को सौंप दिया जाता है जो उसे चंबल गैंग के पास ले जाता है। किडनैप किए गए व्यक्ति को कम से कम खाना और पानी दिया जाता है जिससे कि वह प्रतिरोध न कर सके। इसके बाद उसे घाटी में ले जाया जाता है जिसके बाद उसे एक ऐसी जगह पर रखा जाता है जहां डिटेक्शन न किया जा सके। इसके लिए पीड़ित को राख और मिट्टी से ढकी किसी जगह में रखा जाता है। गैंग के सदस्य अपने शिकार को एक आयरन पाइप के जरिए खाना खिलाते हैं। अवैध बाजार में उपलब्ध उनके पास सारे आधुनिकतम हथियार होते हैं। कुछ बंदूकधारी अगवा किए गए व्यक्ति की 24 घंटे निगरानी में रहते हैं। गैंग के सदस्य इतने शातिर होते हैं कि पुलिस की जांच को गुमराह करने के लिए एक सप्ताह बाद फिरौती की रकम मांगने के लिए कॉल करते हैं।
ऐसी ही खतरनाक योजना के साथ काम करने वाले चंबल घाटी में कम से कम तीन गैंग सक्रिय हैं। हर गैंग में 20-30 आदमी होते हैं जिनके सरगना कलुआ, राजेश यादव और सुरेंद्र हैं। ये गैंग अलग-अलग इलाकों में सक्रिय हैं और आपस में इन गैंग के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा रहती है। खलीफा ने जांच के दौरान बताया भी कि बड़े गैंग उसके शिकार को उससे छीनकर फिरौती की ज्यादा बड़ी रकम वसूलने की फिराक में थे।
एक अधिकारी ने बताया, ये बहुत ही अनुशासित होते हैं। किसी को भी अपने गैंग में रखने से पहले ये पूरी छानबीन करते हैं। अगर गैंग का कोई सदस्य जेल जाता है तो उसकी जमानत की रकम गैंग ही भरता है। गैंग अपने सदस्यों के परिवार का भी बराबर ध्यान रखता है। स्थानीय ग्रामीण, जो गैंग के लिए सूचना जुटाते हैं, उनको भी काफी पैसे मिलते हैं।