मुख्यमंत्री ने परियोजना की प्रगति एवं इसकी उपादेयता के प्रति असंतोष व्यक्त किया था और गोमती नदी को गंगा की सहायक नदी बताते हुए कहा था कि इस परियोजना को ‘नमामि गंगे’ परियोजना से जोड़कर नदी में गिरने वाले सभी गन्दे पानी के नालों को बन्द करने की दिशा में काम किया जाना चाहिए था, जिससे नदी की अविरलता बनाये रखने एवं पानी को शुद्ध करने में मदद मिलती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। योगी ने निर्देशित किया था कि सबसे पहले गन्दे नालोें को नदी में गिरने से रोकने के लिए निर्माणाधीन सेप्टिक ड्रेन का काम आगामी मई तक पूरा कराया जाए। इसके साथ ही, दोनों तरफ बन रहे डाइफ्राम वॉल को कलाकोठी तक बढ़ाया जाए।
उन्होंने कहा था कि मुख्य सचिव इस परियोजना से सम्बन्धित प्रमुख सचिव अपने स्तर पर एक सप्ताह में समीक्षा करते हुए इस पर आने वाले वास्तविक व्यय के सम्बन्ध में अपनी राय दें। मुख्यमंत्री ने कहा था कि वर्तमान राज्य सरकार परियोजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार को हर हाल में बन्द करने के लिए दृढ़संकल्पित है। उन्होंने कहा था कि किसी भी कीमत पर जनता की गाढ़ी कमाई को लूटने की इजाजत नहीं दी जा सकती।