देश में जहां एक तरफ एक मुस्लिम शख्स को गोतस्करी के आरोप में कथित गोरक्षकों ने पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। वहीं राजस्थान के मेवात में कुछ मुसलमान ऐसे भी हैं जिन्होंने गायों को पालकर गोपालक पुरस्कार भी अपने नाम किए हैं। यही नहीं इन मुसलमानों में बेटी की शादी के बाद लड़के वालों को गाय दान में देने की परंपरा है। इसलिए लगभग हर गांव में गाय जरूर मिलेंगी। जबकि गुरुग्राम से अलवर तक फैला यह क्षेत्र गायों की तस्करी के लिए बदनाम है।
न्यूज़ 18 की खबर के मुताबिक मुसलमान बहुल इस जिले के फिरोजपुर झिरका कस्बे के पास एक गांव है पाटखोरी। इसमें करीब एक हजार गायों का पालन पोषण हो रहा है। जिले में पांच सौ से अधिक परिवार ऐसे हैं जिनके पास 50 से लेकर 100 गायें हैं। यहीं की तहसील नूंह के गांव जय सिंहपुर का रहने वाला पहलू खां भी था, जिसकी कथित तौर पर गायों की तस्करी करने के आरोप में गोरक्षकों ने अलवर (राजस्थान) में पीट-पीटकर हत्या कर दी।
पाटखोरी गांव के गोपालक जाकिर कहते हैं गाय तो हमारे पूर्वज भी रखते आए थे। गायों ने तो हमें दूध दिया है, हमारा पेट पाला है। उन्हें हम माता और देवी के रूप में मानते हैं। ये तो मुट्ठी भर लोग हैं, जो इस काम में संलिप्त हैं। उन्हीं की वजह से पूरा मेवात गोकशी के लिए बदनाम हो रहा है। मेवात में पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. नरेंद्र सिंह कहते हैं कि इस समय मेवात में लगभग 45 हजार गाय हैं। यहां के लोगों का मूल काम ही किसानी और पशुपालन है।
मेवात में गाय केयर अभियान से जुड़े राजुद्दीन कहते हैं कि यहां 50 से 100 गाय पालने वाले कम से कम 500 परिवार हैं। दो-तीन गाय तो हजारों परिवारों के पास हैं। उनके मुताबिक नगीना के रमजान के पास 200, झिमरावट के मुबारक के पास 105 और यहीं के हकीमुदीन के पास 100 गाय हैं। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रदेश अध्यक्ष खुर्शीद राजाका कहते हैं यहां के लोग गायों के रक्षक हैं। वह गोकशी करने वालों के खिलाफ खड़े होते हैं।
13 सितंबर 2015 को आरएसएस ने यहां मुसलमान गोपालकों का राष्ट्रीय सम्मेलन करवाया था। जिसमें देश भर से लोग आए थे। उन्हें सम्मानिक किया गया। मेवात के मुस्लिमों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल और आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार को गाय भेंट की थी।