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अदालत ने कहा कि ड्रग्स ऐंड कॉस्मेटिक्स ऐक्ट के सेक्शन 26 A के मुताबिक किसी भी दवा पर तब तक बैन नहीं लगाया जा सकता, जब तक यह साबित न हो कि इससे उपभोक्ता का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। दवा कंपनियों ने अपनी याचिका में कहा था कि सरकार ने बैन का आदेश देते वक्त ऐक्ट के इस सेक्शन के प्रावधानों का सही पालन नहीं किया। कंपनियों ने कहा कि सरकार ने इस आदेश को बिना क्लिनिकल डेटा के पास किया और यह भी नहीं सोचा कि इनके विकल्प मार्केट में उपलब्ध हैं या नहीं।
सरकार की दलील थी कि फिक्स डोज की दवाइयां डी कोल्ड टोटल, कोरेक्स कफ सिरप, विक्स ऐक्शन 500, क्रोसिन कोल्ड ऐंड फ्लू, ओफलॉक्स और डोलो कोल्ड जैसी 344 दवाइयां नुकसानदेह होती हैं और दुनिया के कई देशों में इन पर बैन है। अब हाईकोर्ट के इस फैसले से इन दवाओं से बैन हट जाएगा।
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