इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सतनाम ने बताया कि उन्होंने बहुजन समाज पार्टी से अलग होकर 1999 में ‘डेमोक्रेटिक बहुजन समाज मोर्चा’ बनाई थी। जिसके बाद 2007 में कांग्रेस में उसका विलय कर दिया गया। सतनाम ने कहा, “मुझे नहीं पता कि मेरी पार्टी को अब डीलिस्ट किया गया है। उसे तो 2007 में ही डीलिस्ट हो जाना चाहिए था जब मैंने कांग्रेस में उसका विलय किया था।” सतनाम के मुताबिक कांग्रेस में विलय के बाद उन्होंने चुनाव आयोग को लिखित में जानकारी दी थी। सतनाम ने आगे बताया कि वह 1981 से राजनीति में हैं और अबतक छह बार विधानसभा चुनाव और तीन बार संसदीय चुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने सबसे पहली बार चुनाव 1985 में बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर लड़ा था। अपनी पार्टी के बैनर तले उन्होंने दो बार चुनाव लड़ा लेकिन वह दोनों बार हारे।
सतनाम का कहना है कि उनकी पार्टी को कभी कहीं से कोई फंड ना मिलने की वजह से वो कभी ऑडिट रिपोर्ट जमानहीन करवा सके। लेकिन राज्य में मौजूद कार्यकर्ताओं से उनकी समय समय पर मीटिंग होती रहती है। सतनाम को पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह का करीबी माना जाता है। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशी राम से भी उनके अच्छे संबंध थे।