नोटबंदी: कैश की किल्लत के चलते बच्चों को रहना पड़ा भूखा, आंगनवाड़ी के पास नहीं थे खाना खिलाने के भी पैसे

0
नोटबंदी
प्रतिकात्मक तस्वीर
Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse

नोटबंदी को लेकर भले ही सरकार इस बात के दावें कर रही है कि देश में सब कुछ ठीक ठाक चल रहा हैं। लेकिन हम इस बात को भी नकार नहीं सकते की नोटबंदी के ऐलान के बाद से100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। आम लोगों को इस से बहुत परेशानी हो रही है। नोटबंदी का असर मध्यप्रदेश के राजनंद गांव के इस आंगनवाड़ी पर भी साफ दिखा। पर्याप्त मात्रा में कैश नहीं होने के कारण आंगनवाड़ी में बच्चों का पेट भर खाना देना भी मुश्किल हो रहा है।

इसे भी पढ़िए :  सपा में फिर भड़के शोले, पढ़िए अब क्या हुआ

आंगनवाड़ी में बतौर कार्यकर्ता काम करने वाली निशा चौरसिया ने बताया कैसे उनके सहयोगियों ने नोटबंदी के फैसले के बाद किस तरह नवजात और बच्चों को खाना मुहैया कराया। उन्होंने बताया कि स्वयंसेवी संस्था ने सभी लोगों से उधार लिए, बैंकों की लाइनों में खड़े रहे, अधिकारियों से मदद मांगी और यहां तक कि बच्चों और मां बनने वाली महिलाओं को खाना खिलाने के लिए अपनी जमा पूंजी भी खर्च कर दी।

इसे भी पढ़िए :  अभी भी चल रही है पुराने नोटों की गिनती : उर्जित पटेल

निशा ने बताया कि हमने किसी तरह मैनेज किया, लेकिन फिर भी खाने की कमी पड़ सकती है। चौरसिया देश की उन 14 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की समूह का हिस्सा हैं जो दुनिया का सबसे बड़ा शिशु और बाल पोषण कार्यक्रम आईसीडीएस चला रही हैं। यह कार्यक्रम उस देश के लिए किसी वरदान से कम नहीं है जहां 6 साल से कम उम्र के आधे से ज्यादा बच्चों में खून की कमी है। लेकिन 500 और 1000 के नोटों पर अचानक सरकार द्वारा बैन लगने से आईसीडीएस नेटवर्क मुश्किल में आ गया और बच्चों के लिए खाने की कमी पड़ गई।

इसे भी पढ़िए :  नोटबंदी: विपक्ष को जवाब देने एकजुट हुआ NDA, पीएम मोदी बोले- पूरा देश फैसले के साथ
Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse