दिल्ली: कहने को तो दिल्ली देश की राजधानी है लेकिन शिक्षा के मामले यह कहीं से भी देश की राजधानी नहीं लगती। पूरे दिल्ली में करीब 26 हजार शिक्षकों का पद खाली है। ये स्कूलें दिल्ली सरकार और नगर निगम के अंदर आती है। लेकिन शायद कोई भी इस मामले को लेकर गंभीर नहीं है। अब एक एनजीओ इस मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट गया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय में आप सरकार और नगर निगमों के खिलाफ 26000 से अधिक शिक्षकों की रिक्तियां उनके स्कूलों में भरने के अदालत के आदेश का पालन नहीं करने के लिए आज एक अवमानना याचिका दायर की गई।
याचिका में कहा गया है कि ‘‘दिल्ली सरकार और तीनों नगर निगमों द्वारा संचालित स्कूलों में शिक्षकों के 26 हजार 31 :इसमें पिछले साल दिल्ली सरकार द्वारा सृजित 9000 पद शामिल नहीं हैं: पद रिक्त हैं।’’ एनजीओ सोशल जूरिस्ट द्वारा अपने वकील अशोक अग्रवाल के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ के आदेशों की ‘जानबूझकर अवज्ञा’ की गई ताकि यहां स्कूलों में हर शैक्षणिक वर्ष की शुरूआत में शून्य रिक्ति सुनिश्चित की जा सके।
दिल्ली सरकार के अनुसार 1011 सरकारी स्कूलों में तकरीबन 15000 शिक्षकों के पद रिक्त हैं, जो शिक्षक-छात्र अनुपात को गंभीरता से प्रभावित करता है।
उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ के 20 दिसंबर 2001 के निर्देश के बावजूद ‘‘इतनी रिक्तियां अब भी हैं।’’ याचिका में कहा गया है, ‘‘इससे 1977 स्कूलों में पढ़ रहे 25 लाख 05 हजार 691 छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल करने के अपने मौलिक अधिकार से वंचित हैं।’’ मामले पर 17 अक्तूबर को सुनवाई होने की उम्मीद है।