नोटबंदी ने ली एक और जान, बैंक मैनेजर की दरियादिली से हुआ दाह संस्कार

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गाजियाबाद बैंक लगातार कैश की झेल रहा है और अब इसके साइड इफेक्ट्स दिखने लगे हैं। मंगलवार को न्यू आर्य नगर में दवा कैंसर पीड़ित एक शख्स मुन्नेलाल की पैसों की तंगी से दवाई ना खरीद पाने के चलते मौत हो गई। परिजनों के अनुसार नोटबंदी के चलते घर में पैसों की किल्लत चल रही थी।

इतना ही नहीं, उनके परिवार वालों के पास दाह संस्कार तक के लिए पैसे नहीं थे। मंगलवार को जब उनकी पोती पैसों का इंतजाम करने बैंक ऑफ इंडिया के नवयुग मार्केट स्थित ब्रांच में पहुंची तो बैंक में पैसे खत्म हो चुके थे। लेकिन बैंक मैनेजर ने अपनी दरियादिली का परिचय देते हुए उनके दाह संस्कार के लिए पैसे देकर मदद की।

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दुर्भाग्य की बात यह है कि मुन्नेलाल खुद अपनी पोती नेहा के साथ सोमवार को बैंक की इसी शाखा में पैसे निकालने पहुंचे थे। लेकिन उस दिन भी पैसों का इंतजाम नहीं हो पाया था और अगले दिन उनका निधन हो गया। 17 साल की नेहा ने बताया कि बैंक के बाहर लंबी कतार लगी थी लेकिन वह किसी तरह बैंक में प्रवेश कर पाई जहां उसे पता चला कि अब कैश नहीं है। जब उसने मैनेजर से बात की तो उन्होंने उसे मंगलवार को आने को कहा लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

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घर में पैसों की तंगी इतनी ज़्यादा था कि दाह संस्कार तक के पैसे नहीं थे। इसलिए उसे फिर मंगलवार को बैंक आना पड़ा जहां अभी भी कैश मौजूद नहीं था। इसके बाद बैंक मैनेजर ने अपनी जेब से लड़की को 7,000 रूपए देकर उसकी मदद की। वैसे ये कोई पहले मामला नहीं है जब किसी की मौत नोटबंदी की वजह से हुई हो। अभी भी हालातों में ज़्यादा सुधार नहीं आया है अभी भी लोग एटीएम और बैंक की लाइनों में खड़े परेशानी झेल रहे हैं।

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