हुर्रियत को कश्मीर की आजादी के लिए समर्थन का यकीन दिलाते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर में आज़ादी की तहरीक लोगों के समर्थन के बिना नहीं चल सकती। मैं अपने कार्यकर्ताओं से कहता हूं कि वह आज़ादी की तहरीक से वह अलग ना रहे और इसके साथ चले। हम हमेशा तहरीक -ए-आज़ादी के साथ हैं और हमको शेर-ए-कश्मीर के सपने को पूरा करना है! हम सब को एक होना है।
उन्होंने सभी अलगाववादी नेताओं से एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि मैं हुर्रियत से कहता हूं कि एक हो जाओ, हम आपके साथ हैं। हम आप के दुश्मन नहीं हैं। हम गलत के साथ नहीं है। तुम आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं। आजादी की मंजि़ल आसान नहीं होती ! पिछले पांच महीनों में आप ने देखा कितना नुकसान हुआ, अभी भी कितने लोग जेल में है, कितने लोगों की आंखें पैलेट से जख्मी हुई हैं।
उन्होंने इस दौरान राज्य सरकार विशेषकर पीडीपी को लताड़ते हुए कहा कि आज यहां मासूमों का कत्ल हो रहा है। कुछ दिन पहले एक सरपंच और एक सरकारी मुलाजिम का कत्ल हो गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं है। आज हुकुमत करने वाले, हमारे दौरे में ऐसी किसी घटना पर ऐसे सभी इलाकों में पहुंच जाते थे,जहां हमारा पहुंचना मुश्किल होता था। लोगों को झूठे सपने दिखाते और हालात बिगाड़ते। इन लोगों ने अवाम को हालात बदलने का यकीन दिलाया था और वादा पूरा करते हुए कश्मीर में आरएसएस जैसी जमात को लेकर आ गए।
बाद में पत्रकारोंं के साथ बातचीत में डा फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि मेरा मतलब कश्मीर में अमन और कश्मीरियों का हक है।
इसके लिए मैं हुर्रियत तो क्या,किसी भी का साथ देने को तैयार हूं। मैने कोई गलत बात नहीं की है। अगर मैने कहा कि मुजफराबाद वाला कश्मीर पाकिस्तान के पास रहने दिया जाए तो कोई गलत नहीं कहा है। मैंने कोई राष्ट्रविरोधी बात नहीं की है। कश्मीर समस्या का जिक्र हर जगह है, शिमला समझौते में हिंदुस्तान की सरकार ने ही कश्मीर मसले को पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय स्तर पर हल करने पर सहमति जताई है।