जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डा फारूक अब्दुल्लाह कश्मीर को लेकर विवादित बयान के बाद एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं। उन्होने कश्मीर की आज़ादी की वकालत करते हुए हुर्रियत कान्फ्रेंस का पूरा साथ देने का एलान किया है। हालांकि बाद में उन्होने अपने बयान से पलटते हुए कहा कि आज़ादी से मेरा मतलब कश्मीरियों का हक है।
सोमवार यहां अपने पिता स्व शेख मोहम्मद अब्दुल्ला को उनकी 111वीं जयंती के मौके पर, उनके मजार पर श्रद्घांजली अर्पित करने के बाद नेशनल कांफ्रेंस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए डा अब्दुल्ला ने कहा कि आजादी की मंजिल आसान नहीं होती।
उन्होंने कहा कि कश्मीर का भारत में विलय मेरे वालिद शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने नहीं किया। यह महाराजा हरिसिंह ने किया और इल्जाम शेख अब्दुल्ला पर डाल दिया। अगर पाकिस्तान हमला नहीं करता तो महाराजा ने कश्मीर को आजाद मुल्क बनाया होता! कश्मीर का विलय केवल तीन मुद्दों पर डिफेंस, कम्युनिकेशन और विदेश नीति पर हुआ था। इसके साथ ही यह भी वादा किया गया था कि हालात ठीक होने पर कश्मीर में रायशुमारी कराई जाएगी। रायशुमारी में जो लोग फैसला करेंगे,उस पर अमल होगा।
उन्होंने कहा कि हिंदोस्तान ने अपने वादों पर अमल नहीं किया, कश्मीरियों को उनका हक नहीं दिया और यहां तहरीक (हिंदोस्तान से आजादी का आंदोलन ) शुरु हुई। यह (भारत ) कश्मीर में तहरीक को नहीं दबा सकता। यह आग तब तक नहीं बुझेगी जब तक कश्मीर, जम्मू और लदाख के लोगों के साथ इन्साफ नहीं होगा।
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