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किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर ने कहा कि परंपरा तोड़ने का मकसद सिर्फ यह है कि हिंदू धर्म में जन्मे किन्नरों को सम्मानपूर्वक मरने का अधिकार मिलना चाहिए। गंगा महासभा के स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा यह पहला मौका है जब किन्नरों ने खुद को सनातन हिंदू मानते हुए पिंडदान के जरिए अपने समुदाय के पितरों को याद किया।
वीडियो में देखिए – क्यों, कहां और कैसे होता है पिंडदान, इस स्पेशल रिपोर्ट में –
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