वैसे तो रमजान को मुसलमानों का पर्व माना जाता है। लेकिन दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो हिन्दू होकर भी दूसरों को रोजा-इफ्तार करा रहे हैं। ऐसा ही एक उदाहरण के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। एक महिला किरण शर्मा पिछले 18 सालों से निजामुद्दीन दरगाह पर रोजेदारों को इफ्तारी करा रही है।
आपको बता दें कि हजरत निजामुद्दीन दरगाह पर लोग अक्सर दुआ मांगने आते हैं। लेकिन इस बीच कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपने खर्चे पर जरूरतमंदों को रोजा-इफ्तार कराते हैं किरण बीते 18 बरस से हजरत निजामुद्दीन की दरगाह पर माथा टेकने आती हैं। और उनकी पुरी सेवा करती नजर आती हैै। वह कहती हैं कि अल्लाह के दरबार में उनकी हर दुआ कबूल हुई है। दरअसल, हुआ कुछ ऐसा कि किरण शर्मा और उनके बेटी एक हादसे का शिकार हो गई थीं। उनकी बेटी के बचने की उम्मीद बहुत कम थी। उन्होंने हजरत निजामुद्दीन औलिया से अपनी बेटी के स्वस्थ होने की दुआ मांगी। आज उस वाकये को 18 साल हो गए हैं और उनकी बेटी एकदम ठीक हैं। ऐसे में वह हर साल रमजान के माह में यहां आती हैं और लोगों को रोजा-इफ्तार कराती हैं।
देश भर में रमज़ान पाक के महीने मे अल्लाह के बंदे रोजा रखते है। और रमजान के महिने में रौनक ही कुछ और होती है। दरगाह के चीफ इन चार्ज अफसर निजामी का कहना है कि रोजाना यहां कई लोग आते हैं। इन लोगों में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी शामिल होते हैं। यहां किरण शर्मा भी अपनी ओर से एक खूबसूरत कोशिश करती नजर आती हैं।
दरगाह के चीफ अफसर निजामी का कहना है यहां तो लाखों लोग इफ्तार करने के लिए आते है और वे कहते हैं कि राजनीति अलग चीज है। क्योंकि राजनीति हमेशा हिंदू-मुस्लिम को बांटने का काम करती है। वे ऐसे में दुआ करने की बात कहते हैं जिससे देश भर में एकता और सामंजस्य बना रहे। किरण शर्मा भी पिछले 18 सालों से रोजा-इफ्तार आयोजित कर कुछ ऐसी ही कोशिश कर रही हैं।