राजस्थान हाई कोर्ट ने 9 दिसंबर को एक अहम फैसला लिया जिसमें गुर्जरों को विशेष आरक्षण देने वाले विशेष पिछड़ा वर्ग बिल को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया गया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 50 फीसदी से अधिक आरक्षण राज्य में नहीं दिया जा सकता है। जिसके बाद उन्होंने आंदोलन की राह पकड़ ली है।
समिति ने राज्य सरकार पर गुर्जरों के साथ धोखा करने का आरोप भी लगाया है। समिति ने सरकार को चेताया है कि गुर्जरों के साथ हुए समझौते को 15 जनवरी तक लागू नहीं किया तो आंदोलन छेड़ दिया जाएगा। गुर्जरों की नई धमकी से सरकार में चिंता में बढ़ गई है। सरकार ने आंदोलन को देखते हुए कई गुर्जर नेताओं से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति का कहना है कि नई भर्तियों में नियुक्तियां रोके जाने से समाज के युवाओं में गहरी नाराजगी पनप गई है।
समिति के प्रवक्ता हिम्मत सिंह गुर्जर ने यहां कहा कि ताजा हालातों को देखते हुए इस गंभीर मसले पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को आगे आकर दखल देना चाहिए। उन्होंने कहा कि 15 और 23 दिसंबर को हुई वार्ता पर अमल करने के लिए सरकार ने 15 जनवरी तक का समय मांगा है।