सरकार ने विशेष पिछड़ा वर्ग की चार हजार भर्तियां प्रक्रियाधीन होने की बात कही, पर अदालत के निर्णय के बाद सभी जगह उनके वर्ग की भर्तियों को रोक दिया गया। विशेष पिछड़ा वर्ग के चयनित युवकों को नियुक्ति नहीं दी गई। समिति ने रोकी गई नियुक्तियों को फौरन देने को कहा और इस मामले में मुख्यमंत्री से दखल की भी अपील की। संघर्ष समिति ने कहा कि भाजपा सरकार के मंत्री गुर्जर आरक्षण मामले में मुख्यमंत्री को सही और तथ्यात्मक जानकारी भी नहीं दे रहे हैं। ऐसे हालात में मुख्यमंत्री खुद विशेष पिछड़ा वर्ग की समस्याओं का निपटारा करें। समिति का कहना है कि कोर्ट के फैसले में कहीं भी भर्तियों को प्रभावित करने का आदेश नहीं है।
न्याय के सिद्वांत पर भर्तियों को मूर्तरूप दिया जा सकता है। समिति ने सरकार के रवैये को गुर्जर समेत अन्य जातियों के साथ विश्वासघात करार दिया है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गुर्जरों समेत पांचों जातियों के लोगों को आरक्षण देने का बार बार भरोसा दिला रही है। वहीं सरकार अदालत में अपील कर इस वर्ग को आरक्षण की स्थिति के बारे में मार्गदर्शन ले रही है।
प्रदेश में सरकार ने गुर्जर समेत पांच जातियों को विशेष आरक्षण के तहत पांच फीसद अलग से आरक्षण देने का प्रावधान किया था। सरकार के इस फैसले को पिछले दिनों हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया था। इसके बाद से ही गुर्जर समाज सरकार से नाराज हो उठा था। उसका कहना है कि उसे पचास फीसद के अंदर ही विशेष आरक्षण का लाभ दिया जाए।
गुर्जर समाज की पिछले दिनों ही कई जगहों पर महापंचायतें भी हुई है। इसमें भी आरक्षण को लेकर नये सिरे से आंदोलन करने की आवाजें उठी। गुर्जरों के आंदोलन की तैयारी को देखते हुए ही सरकार की चिंता बढ गई है। सरकार के स्तर पर सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी लगातार मंथन कर रहे है। चतुर्वेदी का कहना है कि समस्या का जल्द ही हल निकाल लिया जाएगा। उन्होंने गुर्जर समाज से भी सरकार पर भरोसा करने की अपील की है।































































