
उन्होंने भाजपा का नया नामकरण करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी अब गाली गलौच वाली पार्टी हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री उत्तराखंड में आकर बड़ी-बड़ी योजनाओं के लिए धन की स्वीकृति की बात तो कर जाते है, परंतु धनराशि रिलीज नहीं करते। उमा भारती ने नमामि गंगे योजना के नाम पर सात सौ करोड़ रुपए उत्तराखंड को आज तक नहीं दिए। इसी तरह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा भी 132 करोड़ रुपए दबाए बैठे हैं और धर्मेंद्र प्रधान ने भी 50 करोड़ रुपए भी राज्य को नहीं दिए।
रावत ने कहा कि भाजपा अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की देहरादून और अल्मोड़ा की रैली की नाकामी से बुरी तरह बौखलाई हुई है। भाजपा के नेताओं में झूठ बोलने की प्रतियोगिता लगी हुई है। उन्होंने भाजपा के इन आरोपों खारिज किया कि मैंने राज्य को लूटा है। उन्होंने कहा कि 2007 से अब तक के कोई भी मुख्यमंत्री के साथ वे अपनी संपत्ति की अदला-बदली करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा को उत्तराखंड की जनता आगामी विधानसभा चुनाव में सबक सिखाएगी।जेटली को पत्र लिखा रावत ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर आरबीआइ की ओर से सहकारी बैंकों पर लगाई गई वित्तीय पाबंदियों से राहत दिलाने की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि पर्वतीय राज्यों में एक बडी आबादी सहकारी बैंकिंग प्रणाली पर निर्भर है।
वहां सरकारी बैंकों पर तमाम वित्तीय पाबंदियों से जनजीवन, कृषि गतिविधियों पर खासा असर पड़ा है। कालेधन को लेकर नोटबंदी एक अच्छा कदम है, लेकिन इसके लिए पूर्व में तैयारियां भी उसी होनी चाहिए थी।
रावत ने लिखा है उत्तराखंड पर नोटबंदी के कारण पर्यटन, राजस्व का भारी नुकसान हुआ है। राज्य के ग्रामीण व पर्वतीय क्षेत्रों में ज्यादातर किसान सहकारी बैंकों पर निर्भर है। जिन किसानों के पास नकदी थी, वे इस नकदी को अपने खाते में जमा नहीं कर पा रहे हैं।































































