हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने महिलाओं से छेड़खानी की घटनाओं पर विराम लगाने के लिए योगी सरकार के निर्देश पर एंटी रोमियो स्क्वॉड पुलिस के गठन पर मुहर लगा दी है।
यह आदेश जस्टिस एपी साही व जस्टिस संजय हरकोली की बेच ने गौरव गुप्ता की याचिका पर दिया। कोर्ट ने पुलिस के सादी वर्दी में जगह-जगह छापेमारी कर महिलाओं से छेड़खानी करने वाले मजनुओें की वीडियों बनाने व उसे मीडिया, सोशल मीडिया पर वायरल करने में कोई अवैधानिकता नहीं पाई।
कोर्ट ने याचिका की ऐसे पुलिस दलों के जरिए कार्यवाही करने पर रोक लगाने की मांग सिरे से नकार दी। वास्तव में यह मोरल पोलिसिंग नहीं है। ये एक पेालिसिंग है, जिसका काम महिलाओं के खिलाफ सरेआम छेड़खानी की घटनाओं को होने से पहले से ही रोक देगी।
क्या थी याचिका ?
याचिका में कहा गया कि ”एंटी रोमियो स्क्वॉड के जरिए पुलिस लोगों की प्राइवेसी भंग कर रही है और नवजवान जोड़ों को परेशान कर रही है।
तर्क दिया गया कि संविधान ने सबको स्वछंद रूप से विचरण का अधिकार दिया है, लेकिन इस प्रकार गठित एंटी रोमियो दल इस अधिकार का हनन कर रही है।
याचीका ने पुलिस दल का नामकरण एंटी रोमियो स्कवॉड करने पर भी एतराज जताया कि इससे लोगों में भय व्याप्त हो रहा है।”
हाई कोर्ट ने कहा
किसी मामले में पुलिस की ज्यादती सामने आती है तो कानून के दरवाजे खुले हैं। सरकार को पुलिस बल बढ़ाना चाहिए। तमिलनाडु में 1998 में महिलाओं का उत्पीड़न रोकने के लिए कानून बनाया गया और गोवा में भी 2013 से ऐसा ही कानून है। यदि पुलिस दल के नामकरण पर आपत्ति है तो सरकार उसे बदलने को स्वतंत्र है ।