पिछले साल जब कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने पहली बार टीपू जयंती मनाने का फैसला किया था तब भी इस पर काफी विवाद हुआ था। आरएसएस का आरोप है कि टीपू ने बड़े पैमाने पर मालाबार इलाके में धर्म परिवर्तन कराया था। ऐसे में टीपू जयंती नहीं मनाई जानी चाहिए। संघ ने टीपू सुल्तान को दक्षिण का औरंगजेब तक करार दे दिया। भारी विरोध के बावजूद भी पिछले साल मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पहल पर पहले समारोह के दौरान कुर्ग में हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें दो लोगों की जान चली गई थी।
आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख वी. नागराज ने कहा कि अंग्रेज़ों और मुस्लिम इतिहासकारों ने इसका वर्णन किया है कि टीपू ने बड़े पैमाने में हिंदुओं और ईसाईयों का धर्म परिवर्तन किया। इतना ही नहीं वो एक निरंकुश शासक था। ऐसे में संघ परिवार सिद्धारमैया सरकार के इस फैसले का विरोध करता है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का कहना है कि इस बार भी टीपू जयंती पिछली बार की तरह 10 नवम्बर को मनाया जाएगी। वहीं, लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि आरएसएस के इशारे पर कांग्रेस नहीं चलेगी। जब आरएसएस गोडसे दिवस मना सकती है तो टीपू सुल्तान दिवस मनाने में क्या हर्ज है?