खंडपीठ ने बीसीआइ से सवाल किया कि वह कैसे इस तरह का पत्र लिख सकती है? कैसे डीयू को उपस्थिति नियमों में छूट देने की सिफारिश कर सकती है? अदालत ने कहा बीसीआइ इस बारे में अपना पक्ष स्पष्ट करे।
अदालत लॉ फैकल्टी के पूर्व डीन एसएन सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याची का आरोप है कि लॉ फैकल्टी के शैक्षणिक सत्र 2015-16 में डीयू द्वारा उपस्थिति व पदोन्नति नियमों का उल्लंघन किया गया है। दावा है कि बीसीआइ के पास डीयू से उपस्थिति नियमों में छूट देने की मांग करने के लिए पत्र लिखने का अधिकार नहीं है। आरोप है कि उपस्थिति कम होने पर छात्रों ने शिक्षकों के साथ बदसलूकी की और उन्हें धमकी दी। कई छात्र तो ऐसे हैं जो एक भी दिन कक्षा में नहीं आए और उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति प्रदान की गई है। आरोप है कुछ छात्र बड़ी पहुंच वाले हैं। जैसे कोई कानून मंत्रलय में कार्यरत सचिव स्तर के अधिकारी का बेटा है, कोई एसपी का तो कोई बड़े राजनेता के परिवार से है। याची का आग्रह है कि कम उपस्थिति होते हुए भी परीक्षा में बैठने वाले छात्रों की परीक्षाएं रद की जाएं। अदालत 2015-16 व 2016-17 के सत्र का उपस्थिति रजिस्ट्रर मंगाए और जांच करवाए।