उन्होंने बेटे के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मांगी, तो अस्पताल प्रबंधन ने कोई बात नहीं की। देर रात तक बेटा रोता रहा, लेकिन परिजनों को उससे मिलने नहीं दिया गया। रात में उनको आईसीयू में जाने दिया गया। ममता ने बताया कि आईसीयू वार्ड में लगा एसी बंद था। नौ बेड के बीच में सिर्फ़ एक पंखा लगा था। रविवार सुबह उन्होंने बच्चे को दूसरे अस्पताल में रेफर करने की मांग की और अस्पताल का खर्च पूछा, तो अस्पताल प्रबंधन टाल मटोल करते रहे। पूर्वाह्न 11 बजे तक अस्पताल प्रबंधन ने बेटे को रेफर नहीं किया। बेटे की तबीयत और बिगड़ती गई, तब उनके परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर रेफर के लिए दबाव बनाया, तो अस्पताल के डाक्टर व कर्मचारी उनके साथ मारपीट करने लगे। उन्होंने सौ नंबर पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने बच्चे को रेफर कराया। शिवांश की मां ममता चौहान ने बताया कि अस्पताल में सुविधाओं का अभाव था, वह अपने बच्चों को बेहतर इलाज के लिए दूसरे अस्पताल ले जाना चाहती थी, लेकिन अस्पताल की ओर से डिस्चार्ज करने में आनाकानी की गई। अगले दिन रविवार सुबह 11 बजे अस्पताल ने उनके बेटे को डिस्चार्ज करने का आश्वासन दिया गया, लेकिन जब उनके पति भुगतान करने बिल काउंटर पर पहुंचे, तो काउंटर पर मौजूद कर्मियों ने उनसे मारपीट की। वहां मौजूद उनका बड़ा बेटा यह सब अपने मोबाइल में कैद करने लगा, तो अस्पताल कर्मियों ने उसका मोबाइल छीन कर तोड़ दिया।
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