आगरा में बंदरो की तादात लगातार बढ़ती ही जा रही है और अब ये एक मुसीबत बन गई है। इस समय शहर में लगभग 8,000 बंदर हैं लेकिन अगर इनके प्रजनन पर नियंत्रण न किया गया तो अगले छह सालों में यह बढ़कर 2.16 लाख हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि स्थानीया लोगों के सहज व्यवहार के कारण बंदरों की संख्या में बढ़त हुई है, स्थानीय लोग खाने-पीने की चीज़ें जहां तहां फेंक देते हैं। आगरा के मंदिरों में भी बहुत सारी खाने की सामग्री निकाल कर फेंकी जाती है जो बंदरों के लिए आहार बन जाती है और वे इसी से अपना गुज़ारा करते हैं।
एक एनजीओ ने जिला प्रशासन और आगरा डिवेलपमेंट अथॉरिटी के साथ मिलकर बंदरों के प्रजनन पर नियंत्रण करने के लिए टीकाकरण शुरु किया है। अब तक 317 बंदरों को टीका लगाया जा चुका है। हांलाकि स्थिति नियंत्रण से बाहर होती दिख रही है। इस प्रॉजेक्ट के तहत 552 बंदरों को पकड़ा गया जिसमें से 317 को वंध्यीकृत किया गया। इससे अगले छह साल में बंदरों की संख्या में 7,200 की होने वाली वृद्धि को नियंत्रण कर लिया गया है।
एनजीओ के सहसंस्थापक कार्तिक सत्यनारायण ने बताया कि आगरा में 2022 तक बंदरों की 2.16 लाख हो सकती है। उन्होंने बताया कि एक मादा बंदर 18 महीने में तीन बच्चे पैदा करती है। बता दें कि इस वर्ष मार्च में प्रशासन ने एनजीओ के साथ मिलकर बंदरों के बंध्यीकरण का प्रॉजेक्ट शुरु किया है। उन्होंने बंदरों के प्रजनन पर नियंत्रण के इस अभियान को हॉंग कॉंग के अभियान से प्रेरित बताया है।