नई दिल्ली। प्रख्यात उद्योगपति रतन टाटा ने देश में कथित रूप से बढ रही असहिष्णुता पर चिंता व्यक्त की और कहा कि ‘असहिष्णुता एक अभिशाप, जिसे हम पिछले कुछ दिनों से देख रहे हैं।’ टाटा ने कहा कि ‘‘मैं सोचता हूं कि हर व्यक्ति जानता है कि असहिष्णुता कहां से आ रही है। यह क्या है, देश के हजारों-लाखों लोगों में से हर कोई असहिष्णुता से मुक्त देश चाहता है।’’
इससे पहले टाटा ने ग्वालियर में सिंधिया स्कूल के 119 स्थापना दिवस समारोह को सम्बोधित करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक ज्योतिरादित्य सिंधिया के असहिष्णुता के बारे में व्यक्त किये गये विचार का समर्थन किया।
उन्होंने कहा कि ‘‘महाराज (सिंधिया) ने असिष्णुता के बारे में अपने विचार रखे। यह एक अभिशाप है जिसे हम आजकल देख रहे हैं।’’ टाटा ने कहा कि ‘‘हम ऐसा वातावरण चाहते हैं जहां हम अपने साथियों से प्रेम करें। उन्हें मारे नहीं, उन्हें बंधक नहीं बनायें बल्कि आपस में आदान-प्रदान के साथ सद्भावनापूर्वक माहौल में रहें।’’
टाटा के पहले सिंधिया ने अपने सम्बोधन में विद्यार्थियों से कहा कि ‘‘हम चाहते हैं कि आप विजेता बनें। हम यह भी चाहते हैं कि आप विचारक बनें..और बहस, विचार-विमर्श और असहमति सभ्य समाज की पहचान होती है।’’
पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि देश में आज ‘असहिष्णुता का वातावरण’ है। ‘‘हर व्यक्ति को यह बताया जा रहा है कि उसे क्या बोलना है, क्या सुनना है, क्या पहनना है और क्या खाना है।’’ उन्होंने कहा कि मतभेदों पर कार्रवाई हमारे समाज और परिवार की प्रगति के खिलाफ है।