विश्वपकप 2017 की उपविजेता रही भारतीय महिला टीम की कप्ताकन मिताली राज को बचपन में डांस करना पसंद था। लेकिन पिता के कहने पर क्रिकेट खेलना शुरू करने के बाद वे इस खेल की ही होकर रह गयीं। मिताली ने बताया कि क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद जब डांस और क्रिकेट में से कोई एक चीज चुनने का वक्तं आया तो मैंने क्रिकेट को ही प्राथमिकता दी। मुझे इस बात का अफसोस नहीं है कि में डांसर नहीं बन पाई। आज मैं अपने पिता से कहती हूं, ‘थैंक्यूि डैड, जो आपने मुझे क्रिकेट के खेल में डाला।’
बातचीत के दौरान मिताली ने माना कि महिला क्रिकेट में अब पॉजिटिव बदलाव आया है। इसे भी अब पुरुष क्रिकेट की तरह अहमियत मिलने लगी है। कुछ वर्ष पहले तक ऐसा नहीं था। उन्होंंने इसका श्रेय लोगों की सोच में आए बदलाव के साथ-साथ आईसीसी और बीसीसीआई की ओर से महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के प्रयासों को दिया है।
उन्होंकने कहा कि पहले महिला वर्ल्डबकप के मैचों का टीवी पर प्रसारण नहीं होता था। सोशल प्लेंटफॉर्म पर भी इसे ज्याोदा प्रमोट नहीं किया जाता था, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। वर्ल्डरकप में भारतीय महिला टीम के प्रदर्शन के बारे में उन्हों्ने कहा-हमारी टीम अच्छीि थी, तैयारी अच्छी। थी। हमारा पहला लक्ष्यट कम से कम सेमीफाइनल तक पहुंचने का था, लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने के बाद और आगे जाने के बारे में सोचने लगी।
विपरीत परिस्थितियों में भी शांत बने रहने के लिए ‘कैप्टीन कूल’ के नाम से पुकारी जाने वाली मिताली ने कहा कि मेरा स्वरभाव ही ऐसा है। मैं शांत स्वकभाव की हूं, मुझे ज्या दा गुस्साे नहीं आता। शांत चित्त रहकर ही आप साथी खिलाड़ियों को अच्छाह प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित कर सकती है। वनडे क्रिकेट में सबसे अधिक रन बनाने वाली मिताली राज को फाइनल में मिली 9 रन की हार अभी भी परेशान करती है लेकिन उन्हों ने दार्शनिक अंदाज में कहा कि खेल के आगे भी जिंदगी है।