इस खबर को पढ़कर हो सकता है कि आपका दिल भर आए..लेकिन जिनके सामने ये सब हो रहा था उनका दिल नहीं पसीजा, वो सड़क जाम करते रहे और एक मासूम मौत के मुहाने पर पड़ा जिंदगी की जंग लड़ता रहा। इस जाम और जद्दोजगद के बीच उस मजबूर महिला की सोचिए जिसका बच्चा उसकी गोद में आखिरी सांसे गिन रहा हो और वो बेचारी इस कदर मजबूर हो जाए कि अपने बच्चे को अस्पताल भी ना ले जा पाए। ज़रा सोचिए उस महिला की क्या हालत हुई होगी ?
मामला दरअसल इंदौर का है। सोमवार को पश्चिमी इंदौर की सड़कें पूरी तरह से जाम हो गईं। कारण था एकता और अनुशासन का ज्ञान देने वाले संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी संगठन (एबीवीपी) की रैली। नई दुनियां अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार रैली से ऐसा जाम लगा कि एक साल के मासूम देवांश की जान पर बन आयी।
तेज बुखार के बाद बेहोश हुए नन्हे देवांश को गोद में उठाए उसकी बुआ महक तलरेजा वाहनों की भीड़ के बीच रास्ता देने की गुहार लगाती रही। बोलतीं रहीं, ‘मुझे अस्पताल जाना है… मेरा बच्चा मर रहा है… मुझे रास्ता दो… मेरे बच्चे को बचाओ… लेकिन न ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों का दिल पसीजा, न जाम में फंसे लोगों में से कोई मदद के लिए आगे आया। पश्चिमी इंदौर का बड़ा इलाका तीन घंटे से ज्यादा समय तक बंधक बना रहा।
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