अपनो के लिए रो रहे थे लोग, और मंत्री महोदय ले रहे थे सेल्फ़ी

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नई दिल्ली: मुंबई से करीब 170 किमी दूर रायगड के महाड में परसों रात पुल बहने से 30 से ज्यादा लोगों के डूबने आशंका जताई जा रही है. इसमें 23 लोग तो दो सरकारी बसों में सवार थे. अब तक करीब 9 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं. इसमें बस ड्राइवर श्रीकांत कांबले का शव शामिल है. जो हादसे की जगह से 120 किलोमीटर दूर समुद्र किनारे मिला है. बड़े पैमाने पर राहत और बचाव का काम चलाया जा रहा है. जल और आकाश में नेवी, और एनडीआरएफ की टीमें कल से ही उन दो बसों का पता लगाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही हैं. नदी में डूबी दोनों बसों का पता लगाने के लिए करीब 300 किलों के चुंबक का इस्तेमाल किया जा रहा है. ये देखिए. क्रेन के जरिए चुंबक को नदी में उतारा जा रहा है. कल से सैकड़ों बार इस चुंबक को नदी में उतारा गया लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा.

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कलमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस घटनास्थल का मुआयना करने गए थे. हादसे में न जाने कितने परिवार उजड़ गए लेकिन PWD मंत्री महोदय सेल्फी लेने में व्यस्त थे. लोगों पर दुखों का पहाड़ टूटा है लेकिन मंत्री जी को सेल्फी लेने से ही फुर्सत नहीं है. आज तो एक मंत्री महोदय ने हद ही कर दी. मीडिया हादसे के बाद राहत और बचाव की पल-पल की जानकारी लापता हुए लोगों के परिजनों तक पहुंचाने में लगा है. लेकिन महाराष्ट्र के मंत्री प्रकाश मेहता का कहना है कि मीडिया ये सब टीआरपी के लिए कर रहा है.

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मंत्री प्रकाश मेहता
मंत्री प्रकाश मेहता

तलाशी अभियान के बारे सवाल पूछने पर प्रकाश मेहता भड़क गए और पत्रकारों से बदसलूकी की और पार्टी कार्यकर्ताओं से पत्रकार को सबक सिखाने के लिए कहा. अब ये बताने की जरूरत नहीं है कि पुल हादसे को लेकर राज्य सरकार कितनी संजीदा है. नेशनल हाइवे अथॉरिटी ने मई में पुल का मुआयना किया था और कहा था कि पुल सुरक्षित है. इसके बावजूद ये हादसा हो गया. सवाल उठ रहे हैं कि किसकी लापरवाही से ये हादसा हुआ है. सीधे तौर पर कटघरे में नेशनल हाइवे अथॉरिटी है साथ ही महाराष्ट्र सरकार भी.

सामाजिक कार्यकर्ता उदय कुमार का कहना है कि हद से ज्यादा रेत खनन होने की वजह से नदी में बहाव काफी तेज हो जाता है. खनन में लगे ठेकेदार नियमों की अनदेखी करते हैं और तय सीमा से ज्यादा खनन कर देते हैं जिससे नदी में उफान आ जाता है. ऊपर से पुल काफी जर्जर हो चुका था.
महाराष्ट्र सरकार ने पुल हादसे की जांच के लिए कमिटी बना दी है जो मामले की जांच में जुटी है. महाराष्ट्र सरकार ने जांच कमिटी बनाकर अपनी जिम्मेदारी पल्ला झाड़ लिया है. जब भी कोई हादसा होता है तो हरबार सरकारें आनन-फानन में जांच के लिए कमिटी बना दी जाती है लेकिन कम ही मामले होते हैं जिसमें दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होती है.

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