70 हजार करोड़ के घोटाले में एनसीपी के एक नेता को जेल हो सकती है।किसान के लिए बनाई गई पानी की योजनाएं फाइलों में बाहर नहीं आ सकी। नतीजा कई किसानो ने आत्महत्या कर ली तो कई किसानों को पलायन करना पड़ा। जांच कराई गई तो सामने आया 70 हजार करोड़ का सिंचाई घोटाला। इस घोटाले में नाम आया एनसीपी नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री अजित पवार,नेता छगन भुजबल और सुनील तटकरे का। मंगलवार को महाराष्ट्र कैबिनेट ने सिंचाई घोटाले में 14 परियोजनाओं के 94 टेंडर रद्द कर दिए। जिसके बाद से अजित पवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बता दें एसीबी ने 70 हजार करोड़ के घोटाले में इसी महीने अजित पवार से पूछताछ की थी। इससे पहले बाणगंगा सिंचाई परियोजना घोटाला मामले में एनसीपी के दूसरे बड़े नेता सुनील तटकरे से भी पूछताछ की जा चुकी है। 94 टेंडरो को रद्द करने का सरकार का ये फैसला एनसीपी और कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
इसे भी पढ़िए-बिहार : पकड़ा गया अब तक का सबसे भ्रष्ट अधिकारी, पढ़िए घर से क्या क्या मिला
इस मामले में आम आदमी पार्टी की कार्यकर्ता रही अंजली दमानिया द्वारा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर जांच की मांग की।70 हजार करोड़ के इस घोटाले में कई और भी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कोर्ट ने केस दर्ज किया था। जांच में पाया गया कि महाराष्ट्र का ये सिचाई घोटाला पश्चिम महाराष्ट्र तक फैला हुआ है। इसमें एक ही डैम के कई-कई बार टेंडर दिए गए। इसमें टेंडर की शर्तों में गलत ढंग से बदलाव करते हुए प्रोजेक्ट की कास्ट बढ़ाई गई। ऐसा करने से राजकोष को करोड़ो का चूना लगा। इस घोटाले में पूर्व की कांग्रेस और एनसीपी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगे थे।
इसे भी पढ़िए-जिस्मफरोशी से रोज कमाती थी 10 लाख रुपये !
बता दें कि इसी सिंचाई घोटाले में पिछली सरकार के कार्यकाल में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण द्वारा श्वेतपत्र लाए जाने की घोषणा के बाद अजीत पवार को इस्तीफा देना पड़ा था। लेकिन बाद में एक जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद पवार ने पुनः उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी। लेकिन अब तक किसी भी जांच में उन्हें क्लीनचिट नहीं दी गई है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की जांच भी अभी चल ही रही है। माना जा रहा है कि यदि फड़नवीस सरकार ने यह जांच निश्पक्ष रूप से आगे बढ़ाई तो अजीत पवार एवं तटकरे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।