पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मतभेद जग जाहिर है। ममता बनर्जी इन दिनों प्रॉजेक्ट्स के नाम बदलने के अभियान पर हैं। बता दें कि उन्होंने केंद्र सरकार के बहुत से प्रॉजेक्ट्स को बांग्ला नाम दे दिए हैं।इसके पीछे उनका तर्क है कि अगर पश्चिम बंगाल केंद्र के प्रॉजेक्ट्स के लिए 40 पर्सेंट से अधिक योगदान दे रहा है, तो राज्य के पास प्रॉजेक्ट्स का नाम बांग्ला में रखने का पूरा अधिकार है। जल्द ही पश्चिम बंगाल सरकार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से ‘प्रधानमंत्री’ को हटा देगी।
राज्य सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन का नाम बदलकर निर्मल बांग्ला और नैशनल रूरल लाइवलीहुड्स मिशन और दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना का नाम आनंदाधारा कर दिया है।प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना (ग्रामीण आवास) को अब पश्चिम बंगाल में बांग्ला गृहा प्रकल्प और दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना को ‘सबर घरे आलो’ कहा जाएगा।
उनका कहना है, ‘केंद्र सरकार ने बहुत सी केंद्रीय योजनाओं में फंड की अपनी हिस्सेदारी घटा दी है। राज्य प्रॉजेक्ट में कम से कम आधी लागत का भुगतान कर रहा है। इस वजह से प्रधानमंत्री या केंद्र में संबंधित राजनीतिक दलों के नेताओं या विचारकों के नाम पर योजनाएं क्यों चलाई जानी चाहिए’ ।
ममता मंत्रिमंडल में ऊर्जा मंत्री सोवनदेब च र्जी ने कहा, ‘पहले केंद्रीय योजनाओं के लिए केंद्र-राज्य की हिस्सेदारी 90:10 की थी। अब केंद्र ने राज्य की हिस्सेदारी चार गुना बढ़ा दी है। इस वजह से बहुत सी योजनाओं में हिस्सेदारी 60:40 की हो गई है। यह राज्य सरकार उठाती है। इस वजह से योजनाओं का नाम प्रधानमंत्री या उनके नेताओं पर क्यों होना चाहिए? नोटबंदी, EVM मशीनों में गडबढी की शिकायत के बाद ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार को नये मुद्दे पर घेरने की पहल की है।