मायावती पर हमला जारी रखते हुए अखिलेश ने दयाशंकर प्रकरण का जिक्र किए बगैर कहा कि जिसने उनका अपमान किया, उस पर तो उन्होंने कार्रवाई नहीं की। अलबत्ता उनकी मांग पर कार्रवाई तो हमने की और वह भी बहुत कड़ी। मायावती पर उन्होंने ‘अपने’ लोगों के साथ प्रदेश को भी गुमराह करने का आरोप लगाया। बसपा राज में हुए सीएमओ और इंजीनियर हत्याकांडों का भी जिक्र किया। वह यह कहने से नहीं चूके कि लोगों को वह दिन भी याद है जब बसपा प्रमुख के जन्मदिन पर केक काटकर उन्हें खिलाया गया और फिर उनकी पार्टी के एक नेता ने जूठा केक खाया था।
भाजपा पर निशाना साधते हुए अखिलेश ने कहा कि मैं जहां भी जाता हूं लोगों से यही सुनने को मिलता है कि भाजपा के लोग बहुत झूठ बोलते हैं। सवाल किया कि अच्छे दिन की दुहाई देने वालों ने ढाई साल में उत्तर प्रदेश को क्या दिया। मुझसे पूछा जाता है कि आपने टैबलेट नहीं बांटे तो मैं जवाब देता हूं कि उप्र को बहुत सारी टैबलेट दी जा रही है, इसलिए और टैबलेट दिये जाने की जरूरत नहीं है। आशय था कि केंद्र सरकार उप्र को सिर्फ ‘गोली’ दे रही है। चुनाव बाद बसपा-भाजपा के गठबंधन की संभावनाओं की ओर इशारा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि रक्षाबंधन का त्योहार कोई नहीं भूला है। किसने किसको राखी बांधी थी, सभी जानते हैं। कल यदि गठबंधन की सरकार नहीं बनी तो क्या गारंटी है कि बसपा-भाजपा मिलकर सरकार नहीं बनाएंगे।