दिल्ली
किशोर न्याय बोर्ड ने अपनी तरह के पहले आदेश में कहा है कि 17 साल की एक लड़की के साथ कथित दुष्कर्म के जघन्य अपराध में एक नाबालिग आरोपी पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जाए। बोर्ड ने कहा कि आरोपी ने इस अपराध को ‘‘सतर्कतापूर्वक’’ तथा ‘‘सुनियोजित तरीके’’ से अंजाम दिया।
किशोर न्याय बोर्ड के पीठासीन अधिकारी अरूल वर्मा ने किशोर की तरफ से पेश वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि यह लडकी और किशोर के बीच आपसी सहमति वाला संबंध था। बोर्ड ने कहा कि इस दावे के समर्थन में रत्ती भर भी प्रमाण नहीं है।
इस किशोर की आय 17 साल आंकी गयी है।
बोर्ड ने कहा कि रिकार्ड तथा पीड़िता के बयान पर गौर करने से यह भी खुलासा होता है कि किशोर ने सतर्कतापूर्वक एवं सुनियोजित तरीके से इस कथित अपराध को अंजाम दिया। पीड़िता को स्कूल से बाइक से लाया, बाद में उसे कार से ले जाया गया, शराब खरीदी गयी तथा फिर फ्लैट में गये। यह घटनाओं का क्रम है।
बोर्ड ने इस मामले को संबंधित बाल अदालत के पास भेज दिया जिसके पास इस तरह के अपराध पर सुनवाई करने का अधिकार हो। साथ ही यह भी निर्देश दिया गया कि किशोर को वहां 23 अगस्त को पेश किया जाए।
किशोर न्याय :बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण: कानून 2015 में संशोधन के बाद से यह पहला आदेश है। इस संशोधन के जरिये बोर्ड को यह इजाजत दी गयी है कि वह बच्चों द्वारा किये गये जघन्य अपराधों को सत्र न्यायालय भेज सकता है।
लड़की ने अपनी शिकायत में कहा था कि उसने शुरू में इस घटना के बारे में किसी को नहीं बताया था क्योंकि आरोपी ने कथित रूप से घटना की वीडियो रिकार्डिंग कर ली थी और उसे इस घटना के बारे में किसी को भी बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी ।