परिणाम आने में थो़ड़ा वक्त है लेकिन उससे पहलेे सभी न्यूज चैनल चुनावी गणित यानी एग्जिट पोल सबके सामने पेश कर चुके हैं। इसके बाद से कोई मायूस दिख रहा है तो कोई खुश। हांलाकि परिणाम इसके इतर भी हो सकते हैं। राजनीति के पंडित भी अपने-अपने अनुभव के आधार पर अनुमान लगा रहे हैं, लेकिन सटोरिए इन सब पर भारी हैं। सट्टा मार्केट में शुरुआती दौर में पीछे रहने वाली बीजेपी ने बढ़त ली है, तो साइकल गठबंधन पीछे-पीछे है। हाथी का सही से खड़ा भी न हो पाना चौंकाता है।
चुनाव भले पांच राज्यों में हो पर पूरे देश की निगाह ‘यूपी दौड़’ पर है। जनवरी में घोषणा होने के दिन से ही सियासी दल और उम्मीदवार सक्रिय हुए तो आईपीएल के अलावा सटोरियों और बुकियों को एक और मौका मिल गया। देखते-देखते दिल्ली से लेकर मुंबई और राजस्थान तक के सटोरिए दुकान खोल बैठे। नोटबंदी के चलते भले ही अर्थव्यवस्था लड़खड़ाने का अनुमान लगाया जा रहा हो पर सट्टा बाजार इससे अछूता है। चुनावी रण के हर दिन और हर इलाके का सटीक हिसाब-किताब पार्टियों के मैनेजरों से ज्यादा सट्टा बाजार में उपलब्ध रहा है।
सूत्रों के मुताबिक पूर्वांचल के सट्टा बाजारों में चुनाव के पहले चरण के नामांकन तक 210 से 215 सीटों के साथ एसपी -कांग्रेस गठबंधन को पूर्ण बहुमत के दावे किए जा रहे थे। वोटिंग का दौर आया तो हर चरण में बीजेपी समेत गठबंधन और बीएसपी का भाव विदेशी बाजार में क्रूड ऑयल की तरह गिरता-चढ़ता रहा।