उत्तर प्रदेश की राजधानी के दुबग्गा इलाके की हाजी कॉलोनी के एक घर में छिपे सैफुल्लाह को एटीएस ने 12 घंटे की मुठभेड़ के बाद मार गिराया। लेकिन कॉलोनी के लोग सैफुल्लाह को आतंकी नहीं मान रहे हैं। सैफुल्लाह के पिता सरताज अहमद ने हालांकि अपने बेटे को गद्दार और देशद्रोही करार देते हुए उसके शव को लेने से मना कर दिया। उप्र पुलिस ने भी सैफुल्लाह को आतंकी तो करार दिया, लेकिन उसके सीधे आईएसआईएस से संबंध को नकार दिया है। एडीजी (एटीएस/कानून व्यवस्था) दलजीत चौधरी ने सैफुल्लाह को आईएसआईएस से प्रभावित युवक करार देते हुए आतंक की राह पर चलने की बात कही। सैफुल्लाह को उप्र पुलिस ने मध्यप्रदेश में मंगलवार को भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में हुए विस्फोट मामले का आरोपी भी बताया। लेकिन जिस हाजी कॉलोनी स्थित घर में सैफुल्लाह छिपा था, उस कालोनी के तमाम लोगों ने संवाददाता से बातचीत में पुलिस की इस कार्रवाई को फर्जी करार दिया। खुलकर न बोल रहे कॉलोनीवासी किसी भी अनजान व्यक्ति से बहुत सोच-समझकर बोल रहे हैं।
पत्रकारों से बातचीत करने से लोग हिचकिचा रहे हैं। कुछ लोगों ने तो पुलिस को गालियां देते हुए कहा, पुलिस ने बिनावजह बच्चे को मार डाला। आतंकी सैफुल्लाह के पास से बरामद सामान को लेकर भी स्थानीय निवासियों का कहना है कि बरामद सामान पुलिस को स्थानीय लोगों को दिखाना चाहिए था, वरना पता नहीं सारा सामान पुलिस ने ही वहां रखकर मीडिया को दिखा दिया हो। एक खास बात यह भी है कि जिस घर में सैफुल्लाह छिपा था, उस घर की दीवार से सटी हुई एक मस्जिद भी है। विडंबना यह भी है कि आखिर सैफुल्लाह ने किराए पर रहने के लिए मस्जिद के बगल वाले घर को ही किराए पर क्यों लिया? माना जा रहा है कि सैफुल्लाह ने यह सोचा होगा कि मस्जिद से जुड़े घर में किसी को कोई शक नहीं होगा। गुरुवार को मस्जिद में आने-जाने वाले लोगों से बात करने की काफी कोशिश की गई, लेकिन कोई बात करने को तैयार नहीं हुआ। मस्जिद में अजान करने वाले युवा से बातचीत हुई तो उसने भी बचते-बचते इतना ही बताया कि वह यहां अजान करने के लिए आता है।