महाराष्ट्र सरकार से राज्य के द्वारा संचालित किए जा रहे आश्रम स्कूलों में आदिवासी समुदाय की 500 से अधिक छात्राओं की संदिग्ध हालात में मौत और यौन शोषण की रिपोर्ट पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने स्पष्टीकरण देने को कहा है। मीडिया में आई खबरों को अपने ध्यान में लाते हुए एनएचआरसी ने राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस भेजा है। नोटिस में इस गंभीर मुद्दे पर छह हफ्ते के अंदर एक विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए कहा है।
एनएचआरसी ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में जीवन के अधिकार और स्कूली छात्राओं की गरिमा के उल्लंघन का संकेत मिलता है। इसमें अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही को भी उजागर किया गया है। मीडिया ने बीते सप्ताह बताया कि अधिकारियों ने नाबालिग लड़कियों के मासिक धर्म का रिकॉर्ड बनाया था और मासिक धर्म नहीं आने या छुट्टियों से वापस आने पर उनका गर्भावस्था परीक्षण कराया जाता था। यह अनैतिक कार्य बिना उनके माता-पिता की सहमति के किया जाता था। इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब एक जनजातीय लड़की दिवाली की छुट्टियों में घर आई थी और उसने पेट दर्द की शिकायत की, बाद में उसके साथ स्कूल में हुए यौन शोषण की बात सामने आई।
नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार, बुलधाना जिले के खामगांव के इसी स्कूल की एक और 12 साल की लड़की का कथित रूप से एक सफाईकर्मी ने यौन शोषण किया था। इस स्कूल में 70 छात्राएं हैं लेकिन एक भी महिला अधीक्षक नहीं है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक राज्य संचालित या सहायता प्राप्त जनजातीय आवासीय स्कूलों की संख्या करीब 1100 है। एनएचआरसी ने इस बात का भी जिक्र किया कि ऐसी रिपोर्ट हैं कि बीते 15 साल में 1500 विद्यार्थियों की इन स्कूलों में मौत हो चुकी है जिनमें 700 लड़कियां थीं और जिनके बारे में शक है कि इनकी मौत यौन शोषण के कारण हुई।
एनएचआरसी ने राज्य सरकार के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा कि आश्रम स्कूलों में 740 आदिवासी विद्यार्थियों की मौत के मामले में उसने (एनएचआरसी ने) 10 अक्टूबर 2016 को नोटिस भेजा था। जवाब नहीं आने पर एक रिमाइंडर 26 नवंबर को भेजा गया लेकिन इसके बावजूद कोई रिपोर्ट नहीं दाखिल की गई।